दुश्मनों ने किया सो किया अब कुछ यार बाकि है
देखने अभी दोज़ख के कई दयार बाकि है
हो गये रुखसत अपने पराए सभी,
अब बस ये खाली दरबार बाकी है
वक्ती नशा खूब सर चढ़ के बोला
अब तो बस हल्का ख़ुमार बाकी है
देखने अभी दोज़ख के कई दयार बाकि है
हो गये रुखसत अपने पराए सभी,
अब बस ये खाली दरबार बाकी है
वक्ती नशा खूब सर चढ़ के बोला
अब तो बस हल्का ख़ुमार बाकी है
आशियाँ खुद का जला बैठे जिसके लिए,
उस कमज़र्फ के लिए कुछ प्यार बाकी है
उस कमज़र्फ के लिए कुछ प्यार बाकी है
आस आखरी दम तोड़ रही हैं लेकिन ,
उनके आने का अभी इंतेज़ार बाकी हैं
उनके आने का अभी इंतेज़ार बाकी हैं
बचा कुछ भी नहीं तेरे शहर में 'मधुकर'
गुज़रे वक़्त का बस मज़ार बाकि है
नरेश "मधुकर"
No comments:
Post a Comment