दर्दे मुफलिसी वो जाने कब समझेगा ,
जब लुट जाएगा सब क्या तब समझेगा
कौन हुआ है किसका उम्र भर यहाँ पर ,
कड़वी सच्चाई ये दिल कब समझेगा
जज़्बात यहाँ सिर्फ दौलतमंदों के लिए हैं ,
बच्चा गरीब का ये कब समझेगा
बीता बचपन जो भूख के आँचल मे ,
चौड़ी सड़को का मतलब वो कब समझेगा
वतन के मसीहाओं को क्या लेना देना ,
दगाबाज़ी इनकी वो कब समझेगा
दिमागदारों की सोहबत में मशगूल है जो ,
दिलवालों की ज़रूरत वो कब समझेगा
नरेश 'मधुकर'
copyright 2011
भई वाह, बहुत अच्छी रचना है
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