Tuesday, July 12, 2011

धुंआ मिलता है



हर पीर नहीं मिलवाता खुदा से
खुद से मिलने पे ही खुदा मिलता है

दुनिया एक दोराहा है यहाँ पर ,
खुद के ढूंढें ही पता मिलता है

चलते है साथ साथ सभी लेकिन ,
हर शक्स को मुकाम जुदा मिलता है

ये तो अपना अपना नसीब है 'मधुकर'
किसी को मंजिल तो किसी को धुंआ मिलता है 

नरेश 'मधुकर'
copyright 2011

No comments:

Post a Comment