Thursday, July 21, 2011

मुझ पे करना यकीन

मुझ पे करना यकीन मुझ पे करना यकीन
मुझ पे करना यकीन मुझ पे करना यकीन


दर्द हद से बड़े और दवा ना मिले ,
खोते जाएँ परिंदों के भी हौसले ......
ऐसा वक़्त कहीं ज़िन्दगी पे कभी
आ जाए तो मुझ पे करना यकीन


मुझ पे करना यकीन मुझ पे करना यकीन
मुझ पे करना यकीन मुझ पे करना यकीन



टूटना ही लिखा है अगर ख्वाब का
टूट जाये अभी जब ये मुकम्मिल नहीं...
फिर किसी मोड़ पे ग़र हम तुम मिले
तो यूँ लगे की कुछ मुश्किल नहीं ...


मुझ पे करना यकीन मुझ पे करना यकीन
मुझ पे करना यकीन मुझ पे करना यकीन



कैसे जाने की तुझको इजाज़त मैं दूँ
मेरा तेरे सिवा अब कोई भी नहीं ....
दिल के टूटने का मैं अब क्या ग़म करूँ
की ये किस्सा पुराना है नया कुछ नहीं.......


मुझ पे करना यकीन मुझ पे करना यकीन
मुझ पे करना यकीन मुझ पे करना यकीन


नरेश 'मधुकर'

copyright 2011

No comments:

Post a Comment