Thursday, July 14, 2011

क्या लिखूं ...


क्या लिखूं अपनी कलम से यह कहानी ,
बेहतर हैं सुन लेना कल जग  की जुबानी 

कहती है मुझको ये दुनिया दीवाना 
और मैं कहता हूँ  ये दुनिया दीवानी 

कौन किसका हो सका उम्रभर यहाँ पे ,
प्यार, वफ़ा, दोस्ती, सब बाते बेमानी 

साथ चलना ,प्यार करना और बिछड़ना 
हर मोहब्बत की  बस वही कहानी

बंजर  ज़मीं अब तक  न भूल पायी है 
गुज़रे मौसम कि वो  बेसुध जवानी  ...


नरेश 'मधुकर'
copyright 2011

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