Thursday, August 11, 2011

उल्फत को मेरा नाम दे दे

थक चुका हू राह-इ-तिश्नगी कुछ तो आराम दे दे
उनके तस्सवुर में एक ढलती शाम दे दे

कब तक सहू खामोश बेवफाई को सनम
सज़ा जो भी हो मुझे सरे आम दे दे

आवारगी को मेरी य़ू जाया ना कर
रास्ता मुश्किल सही कोई तो मुकाम दे दे

बहुत लम्बी हो चुकी है खामोश बातें
अब तो कोशिशो को कोई अंजाम दे दे

कही किसी और का ना हो जाये वो यारब
उसकी उल्फत को मेरा नाम दे दे

नरेश"मधुकर"

Sunday, August 7, 2011

लौट के आएगा जो मेरा है...

घनी रात के बाद सवेरा है
नम आँखों के बीच बसेरा है...

लाख छीनना चाहे रब मुझसे

वो लौट के आएगा जो मेरा है...

जीत के दुनिया कुछ न पा सका मै ,

जब से खोया साथ तेरा है

रौशनी चरागों की आँखों में चुभती है,

अब तो दोस्त अपना ये अँधेरा है ...

मर जाऊ सुकून से उस गोद में सर रख कर

इतनी सी हसरत है बस इतना ही ख्वाब मेरा है ....


नरेश "मधुकर"

Saturday, August 6, 2011

आनेवाली सेहर से बचाए ....


दुश्मनों की दुश्मनी से नहीं
खुदा दोस्तों की मेहर से बचाए

तन्हाई से क्या शिकायत मुझे
कोई भीड़ भरे शहर से बचाए 

आग का दरिया का दर नहीं मुझको 
कोई यादों की बहती नहर से बचाए

मुद्दतों से नहीं सोयी सुकून से जो आँखें
कोई उन्हें आनेवाली सेहर से बचाए 


गैरों के सितम से क्या लेना देना 
मौला बस अपनों के कहर से बचाए 

नरेश  'मधुकर' 


कॉपीराइट 2011