घनी रात के बाद सवेरा है
नम आँखों के बीच बसेरा है...
लाख छीनना चाहे रब मुझसे
वो लौट के आएगा जो मेरा है...
जीत के दुनिया कुछ न पा सका मै ,
जब से खोया साथ तेरा है
रौशनी चरागों की आँखों में चुभती है,
अब तो दोस्त अपना ये अँधेरा है ...
मर जाऊ सुकून से उस गोद में सर रख कर
इतनी सी हसरत है बस इतना ही ख्वाब मेरा है ....
नरेश "मधुकर"
नम आँखों के बीच बसेरा है...
लाख छीनना चाहे रब मुझसे
वो लौट के आएगा जो मेरा है...
जीत के दुनिया कुछ न पा सका मै ,
जब से खोया साथ तेरा है
रौशनी चरागों की आँखों में चुभती है,
अब तो दोस्त अपना ये अँधेरा है ...
मर जाऊ सुकून से उस गोद में सर रख कर
इतनी सी हसरत है बस इतना ही ख्वाब मेरा है ....
नरेश "मधुकर"
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