थक चुका हू राह-इ-तिश्नगी कुछ तो आराम दे दे
उनके तस्सवुर में एक ढलती शाम दे दे
कब तक सहू खामोश बेवफाई को सनम
सज़ा जो भी हो मुझे सरे आम दे दे
आवारगी को मेरी य़ू जाया ना कर
रास्ता मुश्किल सही कोई तो मुकाम दे दे
बहुत लम्बी हो चुकी है खामोश बातें
अब तो कोशिशो को कोई अंजाम दे दे
कही किसी और का ना हो जाये वो यारब
उसकी उल्फत को मेरा नाम दे दे
नरेश"मधुकर"
gud work naresh
ReplyDeletewell said sir.........
ReplyDelete