जाने किस आजादी की बात किया करते हैं
जहाँ फूलों से भी लोग डरा करते है
ना मज़हब है ना कोई खुदा इनका
ये साए है जो रौशनी से दग़ा करते है
बड़े अर्से से तड़पती है रूह इस मुल्क की
बात अवाम की ये कब सुना करते है
जो मरा वो भी किसी का तो बेटा था
जाने क्या सोच के ये लोग बुरा करते है
ये खुनी जागीर सियासतदारों को मुबारक
रहे कायम ये वतन हम दुआ करते है
नरेश "मधुकर"
जहाँ फूलों से भी लोग डरा करते है
ना मज़हब है ना कोई खुदा इनका
ये साए है जो रौशनी से दग़ा करते है
बड़े अर्से से तड़पती है रूह इस मुल्क की
बात अवाम की ये कब सुना करते है
जो मरा वो भी किसी का तो बेटा था
जाने क्या सोच के ये लोग बुरा करते है
ये खुनी जागीर सियासतदारों को मुबारक
रहे कायम ये वतन हम दुआ करते है
नरेश "मधुकर"
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