Saturday, September 24, 2011

रहे कायम ये वतन हम दुआ करते है

जाने किस आजादी की बात किया करते हैं
जहाँ फूलों से भी लोग  डरा करते है

ना मज़हब है ना कोई खुदा इनका

ये साए है जो रौशनी से दग़ा करते है

बड़े अर्से से तड़पती है रूह इस मुल्क की

बात अवाम की ये कब सुना करते है

जो मरा वो भी किसी का तो बेटा था

जाने क्या सोच के ये लोग  बुरा करते है

ये खुनी जागीर सियासतदारों को मुबारक

रहे कायम ये वतन हम दुआ करते है


नरेश "मधुकर"

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