पूछ आईने से गुनाह किए किस के लिए ,
बोल उठेगा चेहरा कमबख्त दिल के लिए
ज़माने भर का बैर मोल ले लिए मौला
फ़कत एक कमज़र्फ कातिल के लिए
डूब गया तन्हाई में , सागर भी गहरी
जब चल पड़ी लहरें साहिल के लिए
तब आयी याद लोगों को शाम की
जब जल उठी शमां महफ़िल के लिए
नहीं सोचते अंजाम आगे क्या होगा
जब निकलते है कारवाँ मंज़िल के लिए
छू सकी न कयामत तेरे शहर मे मधुकर,
वहीं अपनो ने बदले मुझसे मिल के लिए ...
नरेश मधुकर
बोल उठेगा चेहरा कमबख्त दिल के लिए
ज़माने भर का बैर मोल ले लिए मौला
फ़कत एक कमज़र्फ कातिल के लिए
डूब गया तन्हाई में , सागर भी गहरी
जब चल पड़ी लहरें साहिल के लिए
तब आयी याद लोगों को शाम की
जब जल उठी शमां महफ़िल के लिए
नहीं सोचते अंजाम आगे क्या होगा
जब निकलते है कारवाँ मंज़िल के लिए
छू सकी न कयामत तेरे शहर मे मधुकर,
वहीं अपनो ने बदले मुझसे मिल के लिए ...
नरेश मधुकर
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