Friday, September 30, 2011

मेरी खातिर ना तुम खुद को सज़ा देना

तुमने दर्द दिया है तुम ही दवा देना
क़त्ल से पहले कसूर बता देना

जल जायेंगी बस्तियां घर के चरागों से

चरागों को घर के  मत तुम  हवा देना

होगा क्या हाल आखिर दिल टूटने पर
 
ज़रा सोच कर तुम किसी को  दग़ा देना

हो मेरा जो भी वो खुदा की मर्ज़ी है

मेरी खातिर ना तुम खुद को सज़ा देना

नरेश"मधुकर

No comments:

Post a Comment