हमसफ़र कोई वफादार ना मिला
तन्हा दिल को कोई यार ना मिला
दर्द ए मोहब्बत का दोष दुनिया को क्या दूँ
देखा भीतर तो मुझ सा गुनहगार ना मिला
तबस्सुम से तेरी था उलफत का भरम कायम
तेरे बाद तुझ सा कोई दिलदार ना मिला
जिसको देखो चाहत चाँदनी की है
टूटे तारों को कोई हकदार ना मिला ..
खुशनसीब है इंसान की है कफन हासिल
मरते ख्वाबों को आज तक मज़ार ना मिला...
नरेश "मधुकर"
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