Friday, October 14, 2011

इतनी अच्छी दुनिया अब रही ही नहीं है...

छोड़ी हमने दुनिया, जिस सनम की खातिर
उसे आज हम पे यकीन ही नहीं है

बाँट के सब कुछ, जिस दिन चले हम 
हमे दफन करने को,जमीन ही  नहीं है

प्यार को तवज्जो ,दे दौलत के आगे  
ऐसी मोहब्बत अब ,कही भी नहीं है ..

मिले दोस्त जिसको , तुमसा ऐ कातिल
उसे दुश्मनों की ,कमी ही  नहीं है  

जाने मुझे क्यों ,लगने लगा है 
इतनी अच्छी दुनिया अब रही ही नहीं है
 
नरेश 'मधुकर'

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