Sunday, October 9, 2011

लहरों से प्यार करना ...

कब कौन दे जाए दग़ा मधुकर

बड़ा मुश्क़िल है एतबार करना 

सूखती सीपों से पूछो कैसा हैं
पड़े साहिल पे लहरों से प्यार करना

कर के वादा वो भूल गए है शायद 
कहा था जिसने मेरा इंतेज़ार करना
 
सुकूने दिल से वक्ती नशा बहुत छोटा है 
न इसको अपने सर पे सवार करना


दर्दे दिल जिसको हैं उसका दिल ही जाने
यू तो बड़ा आसां है बातें हज़ार करना ...

नरेश''मधुकर'' 

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