Sunday, October 9, 2011

ज़िन्दगी सब कुछ सिखा देती है


हालात के चलते दागा देती है
ज़िन्दगी सब कुछ सिखा देती है

ख़ामोशी के साए में बैठा हूँ
आँखें से सब कुछ बता देती है

जीया बड़ी शिद्दत से गर्दिश को 
जाने क्यूँ हर बार सज़ा देती है

शाम परिंदों के भटक जाने पर 
लौट आने की  दुआ देती है  

वक़्त गुजरा याद आता है जबजब 
भुजे शोलों को याद हवा देती है

नरेश 'मधुकर'

No comments:

Post a Comment