मै मुफलिसी का घर हूँ,जिस दिन जल जाऊंगा
रोटी की दौड़ में,सबसे आगे निकल जाऊँगा
जब ईमान दुनियां के आगे टेकेगा घुटने
न समझना जग के साँचे में ढल जाऊँगा
न दिया साथ किस्मत ने मेरा तो
किसी की आँखों में ख्वाब सा पल जाऊंगा
मेरे खलूस को जिस दिन समझ लेगी दुनियां
खोटा सिक्का ही सही मैं उस दिन चल जाऊंगा
नरेश "मधुकर"
रोटी की दौड़ में,सबसे आगे निकल जाऊँगा
जब ईमान दुनियां के आगे टेकेगा घुटने
न समझना जग के साँचे में ढल जाऊँगा
न दिया साथ किस्मत ने मेरा तो
किसी की आँखों में ख्वाब सा पल जाऊंगा
मेरे खलूस को जिस दिन समझ लेगी दुनियां
खोटा सिक्का ही सही मैं उस दिन चल जाऊंगा
नरेश "मधुकर"
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