Tuesday, December 13, 2011
Tuesday, December 6, 2011
कुछ दूर तुम भी साथ चलो ....
नहीं आसान सफ़र ,कुछ दूर तुम भी साथ चलो
बड़ा मायूस शहर ,कुछ दूर तुम भी साथ चलो
बड़ा मायूस शहर ,कुछ दूर तुम भी साथ चलो
जानता हूँ नहीं ये साथ उम्रभर के लिए
फिर भी चाहता हूँ मगर कुछ दूर तुम भी साथ चलो
वो वादियां वो नज़ारे की हम मिले थे जहां
बुला रही वो डगर कुछ दूर तुम भी साथ चलो
थक चुका हूँ अय ज़िन्दगी तेरा साथ देकर
कब आये आखरी पहर कुछ दूर तुम भी साथ चलो
इस वीरान भीड़ के बीच मैं बड़ा तनहा हूँ
खो गया हमसफ़र कुछ दूर तुम भी साथ चलो
फेर कर मुँह जब खड़ी थी ज़िन्दगी मेरी तरफ
तभी तुम आये नज़र कुछ दूर तुम भी साथ चलो
नहीं मरता कोई दो बार प्यार करने से
आओ आजमाए धीमा ज़हर ,कुछ दूर तुम भी साथ चलो
नरेश मधुकर ©
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