Tuesday, July 31, 2012

तू रूठा

जब तू रूठा जब तू रूठा 
तब जग छूटा रे जग छूटा

अंतर्मन को लगी घुटन 
लगे सब झूठा रे सब झूठा 

टिकी थी तेरी नज़र जिधर 
तारा टूटा रे तारा टूटा 

दोस्त क्या और दुश्मन क्या 
सबने लूटा रे सबने लूटा

जब जीते गए जग से मधुकर
तब घर छूटा  रे घर छूटा ...

(यह पंक्तियाँ भक्त और भगवान के बीच की बात है )
© 2012 नरेश राघानी 'मधुकर

सिखाओ मुझको


गुनाहे मोहब्बत की आखिर क्या कीमत है 
हो सके तो कोई बताओ मुझको 

जाने किस घड़ी आये थे तेरे घर की डगर 
अब तो कोई बस यहाँ से ले जाओ मुझको 

वो शोख नज़र वो मदमस्त जुल्फें और आँखें नम
है कोई और उस सा तो ज़रा दिखाओ मुझको

सिखाया है बहुत राहे जिंदगी ने कुछ ऐसा 
करो करम अब तो अपना बनाओ मुझको 

कैसे हँसते है बेवफाई से अंजान होकर 
हो सके तो कोई सिखाओ मुझको


रिश्ता है दर्द से पुराना 'मधुकर'
हो सके तो ज़रा और तड़पाओ मुझको 



© 2012 नरेश'मधुकर'

Sunday, July 22, 2012

खता खा ली हमने


जब अपनों से खता खा ली हमने 
शराफत सबकी आज़मा ली हमने

अब न रहेगा ये अँधेरा कायम 
भीतर ही लौ जला ली हमने

खोये कई दिल अज़ीज़ लेकिन 
कुछ शोहरत कमा ली हमने 

दुनिया से शिकस्त खा कर मधुकर 
धड़कने दिल की दबा ली हमने


© 2012 नरेश राघानी 'मधुकर

Wednesday, July 18, 2012

खुद को लौ सा जलाया हमने


दर्द को ऐसे सजाया हमने
खुद को लौ सा जलाया हमने 

दौरे दीवानगी से निकले तो जाना 
क्या खोया क्या कमाया हमने 

मुद्दतों बाद ये एहसास हुआ
बोझे अश्क कितना उठाया हमने 

ये किस्सा भी दफन हो मेरे संग ही 
सोचकर किसी को न बताया हमने

तेरी वफाओं का यकीन था इस क़दर
तेरी जफा को भी गले लगाया हमने

© 2012 नरेश राघानी 'मधुकर'

Monday, July 16, 2012

प्यार करके देख ...




कर सके तो किसी से प्यार करके देख 
जीना अपना फिर दुश्वार कर के देख 

बीत न जाए ये बारिशें भी बस यूँ ही 
हिम्मत कर ज़रा इज़हार कर के देख 
मिलने की कीमत अक्सर तभी समझ आती है 
ज़रा किसी का इन्तेज़ार कर के देख

माना खता खूब खाई है अपनो से 'मधुकर'
इक बार फिर जिंदगी पे ऐतबार कर के देख 


नफरतों से कोई नही जीत पाया दुनिया
मोहब्बत इक बार बेशुमार कर के देख

नरेश मधुकर