Wednesday, July 18, 2012

खुद को लौ सा जलाया हमने


दर्द को ऐसे सजाया हमने
खुद को लौ सा जलाया हमने 

दौरे दीवानगी से निकले तो जाना 
क्या खोया क्या कमाया हमने 

मुद्दतों बाद ये एहसास हुआ
बोझे अश्क कितना उठाया हमने 

ये किस्सा भी दफन हो मेरे संग ही 
सोचकर किसी को न बताया हमने

तेरी वफाओं का यकीन था इस क़दर
तेरी जफा को भी गले लगाया हमने

© 2012 नरेश राघानी 'मधुकर'

No comments:

Post a Comment