Sunday, July 22, 2012

खता खा ली हमने


जब अपनों से खता खा ली हमने 
शराफत सबकी आज़मा ली हमने

अब न रहेगा ये अँधेरा कायम 
भीतर ही लौ जला ली हमने

खोये कई दिल अज़ीज़ लेकिन 
कुछ शोहरत कमा ली हमने 

दुनिया से शिकस्त खा कर मधुकर 
धड़कने दिल की दबा ली हमने


© 2012 नरेश राघानी 'मधुकर

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