Friday, August 31, 2012

ये डगर पूछे


पूछे हवाएं और ये डगर पूछे 
मेरे कातिल मुझी से मेरा घर पूछे 

बड़ा मशगूल है हर शख्स यहाँ पर 
दीवानों कि यहाँ कौन खबर पूछे 

क्या पूछते हो मुस्कराहट का सबब 
कोई मुझ पे बीता वो कहर पूछे 

क्यूँ चल दिए मुझे छोड़ कर तुम

मुझ से मेरा तन्हा सफर पूछे

क्या कीमत हैं तेरे जज्बातों की  ?
आज मुझ से ये ज़ालिम शहर पूछे ...

नरेश मधुकर copyright 2012

Thursday, August 16, 2012

ये शहर देखो


इन निगाहों से ये शहर देखो
हम पे बरपा फिर जो कहर देखो 

बड़ी मुद्दत से खो सी गयी है  
कोई इस रात की सहर देखो 

खोकर खुश है और पाकर भी तनहा 
ऐसा दीवानगी  का हशर  देखो 

जहाँ कभी शिद्दत से चले हम तुम 
आज फिर वो वीरान डगर देखो 

सुर्खियाँ था जो  कभी अखबारों की 
आज नहीं कोई उनकी खबर देखो 


नहीं कोई किसी का यहाँ पे 'मधुकर'
कैसे फिरती है यारों की नज़र देखो 

इन निगाहों से ये शहर देखो 
इन निगाहों से ये शहर देखो 

नरेश 'मधुकर' copyright 2012