Thursday, August 16, 2012

ये शहर देखो


इन निगाहों से ये शहर देखो
हम पे बरपा फिर जो कहर देखो 

बड़ी मुद्दत से खो सी गयी है  
कोई इस रात की सहर देखो 

खोकर खुश है और पाकर भी तनहा 
ऐसा दीवानगी  का हशर  देखो 

जहाँ कभी शिद्दत से चले हम तुम 
आज फिर वो वीरान डगर देखो 

सुर्खियाँ था जो  कभी अखबारों की 
आज नहीं कोई उनकी खबर देखो 


नहीं कोई किसी का यहाँ पे 'मधुकर'
कैसे फिरती है यारों की नज़र देखो 

इन निगाहों से ये शहर देखो 
इन निगाहों से ये शहर देखो 

नरेश 'मधुकर' copyright 2012

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