पार लगाये तुझे जब खुद मौला
डर किस बात का तुझको सताए ...
पार लगाये तुझे ....
ये दुनियां सब कुछ शोर शराबा
चाहे घूम काशी मथुरा चाहे घूम काबा
हाथ है उसका तुझपे सदा ही
तोड़ सारे बंधन तू जोड़ ओसे धागा
पार लगाये तुझे ...
तू न किसी का है नहीं कोई तेरा
फिर तू फिरे हैं क्यूँ दरदर भागा
तुझमे समाया है वो तू है उसी का
बाट देख किसकी तू रात भर जागा
पार लगाये तुझे ...
मैं पापी तेरी शरण पड़ा हूँ
सब जग है झूठा इक तेरा नाम साचा
यूँ ही तिल तिल कट गयी रे उमरिया
मन मेरा तेरे सिवा कहीं भी न लागा
पार लगाये तुझे जब खुद मौला
डर किस बात का तुझको सताए
पार लगाये तुझे ....
नरेश मधुकर
पार लगाये तुझे ...
तू न किसी का है नहीं कोई तेरा
फिर तू फिरे हैं क्यूँ दरदर भागा
तुझमे समाया है वो तू है उसी का
बाट देख किसकी तू रात भर जागा
पार लगाये तुझे ...
मैं पापी तेरी शरण पड़ा हूँ
सब जग है झूठा इक तेरा नाम साचा
यूँ ही तिल तिल कट गयी रे उमरिया
मन मेरा तेरे सिवा कहीं भी न लागा
पार लगाये तुझे जब खुद मौला
डर किस बात का तुझको सताए
पार लगाये तुझे ....
नरेश मधुकर