Monday, November 5, 2012

इश्क दा रोग बुरा


इश्क दा रोग बुरा, लग न किसे नू जाए                
बिन तेरे फिर भी दिल नू चैन न आये ...

तन्हाई मिल जाती हैं , जब कोई साथ न हो
सुनले गीत खामोशी के, जब कोई बात न हो
सुन ले गीत खामोशी के ,जब कोई बात न हो
फिर हाले दिल किसी को कोई क्यूँ सुनाये

इश्क दा रोग बुरा , लग न किसे नू जाए
बिन तेरे फिर भी दिल नू चैन न आये ...

गमों ने घेरा है , हर ओर बस अँधेरा है  
न मैं किसी का ,न ही कोई यहाँ मेरा है
न मैं किसी का न कोई यहाँ मेरा है
फिर आखिर कोई, क्यूँ दिल को जलाये

इश्क दा रोग बुरा लग न किसे नू जाए
बिन तेरे फिर भी दिल नू चैन न आये ...

नरेश 'मधुकर'

No comments:

Post a Comment