इश्क दा रोग बुरा, लग न किसे नू जाए
बिन तेरे फिर भी दिल नू चैन न आये ...
तन्हाई मिल जाती हैं , जब कोई साथ न हो
सुनले गीत खामोशी के, जब कोई बात न हो
सुन ले गीत खामोशी के ,जब कोई बात न हो
फिर हाले दिल किसी को कोई क्यूँ सुनाये
इश्क दा रोग बुरा , लग न किसे नू जाए
बिन तेरे फिर भी दिल नू चैन न आये ...
गमों ने घेरा है , हर ओर बस अँधेरा है
न मैं किसी का ,न ही कोई यहाँ मेरा है
न मैं किसी का न कोई यहाँ मेरा है
फिर आखिर कोई, क्यूँ दिल को जलाये
इश्क दा रोग बुरा लग न किसे नू जाए
बिन तेरे फिर भी दिल नू चैन न आये ...
नरेश 'मधुकर'
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