Monday, December 24, 2012

कौन ?


कौन ?

उलफत में खुद को हमसा मिटाता है कौन
बेगाने शहर में अब राह दिखाता है कौन ?

इस ज़माने कि नज़र कमज़र्फ है बड़ी लेकिन
देखे हमे खुद कि नज़र में गिराता है कौन ?

इन उजालों ने कई दोस्त बना दिए है मेरे
देखे अंधेरों में साथ निभाता है कौन ?

निभाया है सबको बड़ी शिद्दत से मधुकर
देखे ज़रा हमसे नज़र चुराता है कौन ?

बढ़ चुके है कदम अब जो मदमस्त होकर
देखें अब ज़रा इन्हें रोक पाता है कौन ... ?

नरेश मधुकर
 —copyright  2012

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