Sunday, May 5, 2013

इन्द्र धनुष


इन्द्र धनुष कि पीड़ा
वो खुद ही जनता है ...
वो खुद ही जानता है कि
वो किन किन तूफानी बरसातों से
गुज़रा है और किस तरह से वो
कभी एक साफ़ स्वच्छ उजाला हुआ करता था
कैसे जब वो बारिश के आने पे खुश था
बारिश
वो बारिश जो कभी
उसके लिए बरसती थी
वो तूफानों के साथ आयी
बरसी और
चली गयी
पीछे छोड़ गयी
एक सूनापन
और इन्द्रधनुष अकेला
उस सुनहरी धूप के
सूनेपन में
सात रंगों में बंट गया
लोगों ने उसे देख कर सोचा
कितना सुंदर है
लेकिन
कोई नहीं समझ पाया
उसका दुःख
उसका
अंतर्मन ...

जय श्री कृष्ण
नरेश मधुकर
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