Wednesday, January 16, 2013

मुझको


कुछ भी नहीं मैं ज़िन्दगी में तेरी 
आखिर ये तुने बता दिया मुझको 

थे नाकाफ़ी जज़्बात मोहब्बत के लिए 
गुज़रे वक्त ने रुला दिया मुझको 

चले थे लौ जलाने ज़माने भर में मधुकर 
चरागे दामन ने जला दिया मुझको 

नरेश मधुकर

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