हालात के चलते दागा देती है
ज़िन्दगी सब कुछ सिखा देती है
ख़ामोशी के साए में बैठा हूँ
आँखें से सब कुछ बता देती है
जीया बड़ी शिद्दत से गर्दिश को
जाने क्यूँ हर बार सज़ा देती है
शाम परिंदों के भटक जाने पर
लौट आने की दुआ देती है
वक़्त गुजरा याद आता है जबजब
भुजे शोलों को याद हवा देती है
नरेश 'मधुकर'
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