Monday, July 8, 2013

चाहता हूँ




तुम को मैं सब कुछ बताना चाहता हूँ
फिर ये किस्मत अजमाना चाहता हूँ

मर ना जाऊं ऐसा मुझको डर नहीं
ज़िंदगी पर आशिकाना चाहता हूँ

जा चुका हैं दूर इतना अब वो मुझसे
मौत का मैं अब बहाना चाहता हूँ

ज़िंदगी कि कशमकश से घिरा 'मधुकर'
जीना फिर गुजरा ज़माना चाहता हूँ

खूब देखा हैं वफाओं का मैंने रास्ता 
लौट के अब घर को आना चाहता हूँ


नरेश मधुकर
 —

No comments:

Post a Comment