फिर ये किस्मत अजमाना चाहता हूँ
मर ना जाऊं ऐसा मुझको डर नहीं
ज़िंदगी पर आशिकाना चाहता हूँ
जा चुका हैं दूर इतना अब वो मुझसे
मौत का मैं अब बहाना चाहता हूँ
ज़िंदगी कि कशमकश से घिरा 'मधुकर'
जीना फिर गुजरा ज़माना चाहता हूँ
खूब देखा हैं वफाओं का मैंने रास्ता
लौट के अब घर को आना चाहता हूँ
नरेश मधुकर
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