दुश्मनों की दुश्मनी से नहीं
खुदा दोस्तों की मेहर से बचाए
तन्हाई से क्या शिकायत मुझे
कोई भीड़ भरे शहर से बचाए
आग का दरिया का दर नहीं मुझको
कोई यादों की बहती नहर से बचाए
मुद्दतों से नहीं सोयी सुकून से जो आँखें
कोई उन्हें आनेवाली सेहर से बचाए
गैरों के सितम से क्या लेना देना
मौला बस अपनों के कहर से बचाए
नरेश 'मधुकर'
कॉपीराइट 2011
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