Friday, August 31, 2012

ये डगर पूछे


पूछे हवाएं और ये डगर पूछे 
मेरे कातिल मुझी से मेरा घर पूछे 

बड़ा मशगूल है हर शख्स यहाँ पर 
दीवानों कि यहाँ कौन खबर पूछे 

क्या पूछते हो मुस्कराहट का सबब 
कोई मुझ पे बीता वो कहर पूछे 

क्यूँ चल दिए मुझे छोड़ कर तुम

मुझ से मेरा तन्हा सफर पूछे

क्या कीमत हैं तेरे जज्बातों की  ?
आज मुझ से ये ज़ालिम शहर पूछे ...

नरेश मधुकर copyright 2012

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