Wednesday, January 16, 2013

मैं जा रहा हूँ ...

मैं जा रहा हूँ ...
शायद लौट आऊँ 
बड़ी कश म कश में हूँ 
आसान तो नहीं है 
तेरी दहलीज़ से 
यूँ निकल जाना 
लेकिन फिर भी 
जो भी हैं 
जैसा भी है 
बस छोड़ आया हूँ ...

छोड़ आया हूँ
कुछ पल
कुछ यादें
कुछ बातें
और हाँ
तुम्हारे सिरहाने
उम्मीद सो रही है
उसका ख़याल रखना
क्यूंकि ...
कल उसका हैं
वो कल जो
कभी मैंने और तुमने
संजोया था ...

जय श्री कृष्ण ...


नरेश 'मधुकर'

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