खुद ब खुद मंजिल का पता जान लेते है
दीवाने कर गुजारते है जो दिल में ठान लेते हैं
नहीं सोचते जब बात हो मुल्क की अय दोस्त
जानबूझ कर अपने हिस्से में तूफ़ान लेते हैं
जब कश्मकश चलती हो दिल और दिमाग में
अक्सर दीवाने दिल का कहा मान लेते हैं
हम सरफ़रोश है सियासत दार नहीं मधुकर
जो या तो जान लेते है, या फिर जान देते है
नरेश मधुकर
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