Tuesday, June 21, 2011

डरता हू ...

खोया है इस कदर की पाने से डरता हूँ
फिर ये किस्मत आज़माने से डरता हूँ

वक़्त ने यू चुप करा दिया है मुझे
गीत छोड़ गुन गुनाने से डरता हूँ

गर्दिशों से घिरा हैं आईना दिल का 
मैं इसके टूट जाने से डरता हूँ    

जाहिराना तू कुछ भी नहीं ज़िन्दगी में मधुकर 
फिर भी तेरे रूठ जाने से डरता हूँ 

लिखी है बड़ी सच्चाई से दास्तान ऐ दोस्त
हो जाऊं न बदनाम इसअफ़साने से डरता हू
नरेश 'मधुकर'
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