झूठ को गर न जलाया जाएगा
सच सलीबों पे चड़ाया जाएगा
बात इस कदर मेरे बच्चों को
मेरे बाद कौन समझाएगा
आज आवाज़ बुलंद है कल हो ना हो
बेज़ुबानों का दर्द कब तक बोल पाएगा
मुल्क के मसीहाओं को कौन समझाए
खुदा इन मुफलिसों के साथ नज़र आएगा
भूख से बिलखते बच्चों से जो पूछते हैं
बोल बेटा सुल्तान किस को बनाएगा
जितना जल्दी समझ ले ये तो बेहतर है
छीनेगा जो हक़ अवाम का दोज़ख़ मे जाएगा
नरेश'मधुकर'
बहुत संदर रचना है, आपकी भावनाओं में तल्खी नजर आती है
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